गुजरात दौरे के दौरान राहुल गांधी ने कांग्रेस के कुछ नेताओं पर बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और पार्टी से “20 से 30 लोगों” को बाहर निकालने की चेतावनी दी। इस बयान ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी और 2013 में उनकी उस प्रसिद्ध टिप्पणी की याद दिला दी जिसमें उन्होंने कांग्रेस को ऐसे रूप में बदलने का दावा किया था जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था — लेकिन वो बदलाव कभी पूरी तरह दिखा नहीं।
राहुल गांधी का यह सख्त रुख हाल ही में पार्टी नेतृत्व में हुए बदलाव के बाद आया है, जिससे संकेत मिलता है कि वह कांग्रेस पर अपनी पकड़ फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। ये तब हो रहा है जब तीन साल पहले वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था और गांधी परिवार ने संगठन की कमान से खुद को थोड़ा दूर कर लिया था। हालांकि, खड़गे गांधी के इस नए रुख का समर्थन करते नजर आ रहे हैं।
कई नेताओं को डर है कि गुजरात विधानसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं, ऐसे में गांधी के इस बयान से पार्टी के भीतर अविश्वास का माहौल पैदा हो सकता है।
गांधी इससे पहले भी पार्टी में सुधार लाने और महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देने की बात कर चुके हैं, लेकिन उस दिशा में खास प्रगति नहीं हुई।
बीते साल लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस ने कुछ राहत महसूस की थी, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार ने पार्टी को एक बार फिर मुश्किल में डाल दिया है।
कांग्रेस के कुछ नेताओं का कहना है कि गांधी अब अपने करीबी, युवा और ईमानदार माने जाने वाले नेताओं को सीधे जिम्मेदारी सौंपना चाहते हैं, जिससे यह साफ होता है कि उन्हें बाकी नेताओं पर कम भरोसा रह गया है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि गांधी का तरीका अब भी अस्पष्ट है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार आलोचना करने की उनकी रणनीति आम जनता के बीच वह असर नहीं डाल पा रही है जिसकी उम्मीद थी।
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